जन्म: वि. सं. 1971 मार्गशीर्ष कृष्णा एकादमी, सिरसा।
दीक्षा: वि. सं. 1980 प्रथम ज्येष्ठ पूर्णिमाः सुजानगढ़ (राज.)।
संघप्रमुख के रूप में नियुक्ति: महावीर जयन्ती वि. सं. 2039, सरदारशहर।
आचार्य पदवी: वि. सं. 2048, माघ शुक्ला 11, अर्हम् आश्रम।
महाप्रयाण: 24 जून 2005
ऽ अष्टामाचार्य श्री कालुगणी के चरणों में भागवती दीक्षा लेकर जैनागम, संस्कृत -प्राकृत -व्याकरण, दर्शन, न्याय, कान्य आदि का गम्भीर अध्ययन।
ऽ शिशु-सा सरल मानस। तरूण-सी स्फूर्तप्रज्ञा एवं कर्मठता वृद्ध-सा विवके-गार्म्भीय एवं परिपक्वता, सच्चे सन्त-सी निस्पृहवृिा।
ऽ सरल-सरल कविता मधुर-स्वर ओजस्वी वक्तृत्व निश्छल-विहंसती मुखमुद्रा फूल -सा सुकुमार एवं चुम्बक-सा आकर्षक व्यक्तित्व।
ऽ संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, पंजाबी एवं राजस्थानी आदि भाषाओं में काव्य-रसधारा की अस्खलितगति अध्यात्म-प्राण प्रभावशाली सन्त, सहस्र-सहस्र जन के श्रद्धाभाजन संघप्रमुख श्री चन्दन मुनि।
दीक्षा: वि. सं. 1980 प्रथम ज्येष्ठ पूर्णिमाः सुजानगढ़ (राज.)।
संघप्रमुख के रूप में नियुक्ति: महावीर जयन्ती वि. सं. 2039, सरदारशहर।
आचार्य पदवी: वि. सं. 2048, माघ शुक्ला 11, अर्हम् आश्रम।
महाप्रयाण: 24 जून 2005
ऽ अष्टामाचार्य श्री कालुगणी के चरणों में भागवती दीक्षा लेकर जैनागम, संस्कृत -प्राकृत -व्याकरण, दर्शन, न्याय, कान्य आदि का गम्भीर अध्ययन।
ऽ शिशु-सा सरल मानस। तरूण-सी स्फूर्तप्रज्ञा एवं कर्मठता वृद्ध-सा विवके-गार्म्भीय एवं परिपक्वता, सच्चे सन्त-सी निस्पृहवृिा।
ऽ सरल-सरल कविता मधुर-स्वर ओजस्वी वक्तृत्व निश्छल-विहंसती मुखमुद्रा फूल -सा सुकुमार एवं चुम्बक-सा आकर्षक व्यक्तित्व।
ऽ संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, पंजाबी एवं राजस्थानी आदि भाषाओं में काव्य-रसधारा की अस्खलितगति अध्यात्म-प्राण प्रभावशाली सन्त, सहस्र-सहस्र जन के श्रद्धाभाजन संघप्रमुख श्री चन्दन मुनि।
जय श्री चंदन।
ReplyDeleteजय धन
ReplyDeleteजय चंदन